शहर की जीवनदायिनी 'अरपा' की दो अलग-अलग तस्वीरों पर दैनिक भास्कर का नजरिया। आज के अखबार में प्रकाशित ये रिपोर्ट देखकर शायद उन कथित ठेकेदारों को शर्म आ जाये जो गाहे-बगाहे अरपा को बचाने की वकालत करते हैं। बड़े ही शर्म की बात है कि जिस अरपा को हम जीवन दायिनी कहते नहीं थकते उसी में आज शहर की गन्दगी का अम्बार नज़र आता है। अरपा की कोख को सुनी करने वालों के वैभव को देखकर तो यही लगता है की उन्हें ऊपर वाले की लाठी का कोई खौफ नहीं है। [ दैनिक भास्कर 7 जनवरी 16 ]
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